Monday, 3 March 2014

फासीवाद के खिलाफ, संयुक्त सर्वहारा मोर्चे के लिए अपील


साथियो,

एक तरफ पूंजी की व्यवस्था के गहराते आर्थिक-राजनीतिक संकट और दूसरी तरफ सर्वहारा के संघर्षों की फिर से उठती हुई लहर के चलते, बड़े पूंजीपति-कॉर्पोरेट, सत्ता के दमनचक्र को और नृशंस बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इस तैयारी के चलते ही ये सब, फासिस्ट संघ परिवार और शिव सेना जैसे फासिस्ट ताकतों की तरफ तेज़ी से मुड़ रहे हैं, जबकि फासिस्ट ताकतें पूँजी के मालिकों को मेहनतकशों की लूट और दमन को और भी तेज़ करने का भरोसा
दे रही हैं. सर्वहारा के आन्दोलनों से निपटने के लिए, ये फासिस्ट, खुलेआम सार्वजानिक शाखाओं के जरिये, अर्धसैनिक प्रशिक्षण ले रहे हैं. गुजरात में, वर्ष २००२ में, इन फासिस्टों ने गरीब मेहनतकश जनता का सामूहिक-सांप्रदायिक नरसंहार करके अपनी वहशी ताकत दिखा दी थी. मुम्बई में भी शिव सेना ने सर्वहारा को कुचल डाला है, और पूँजी के राज को संरक्षण दिया है. बड़े पूंजीपतियों द्वारा समर्थित ये फासिस्ट, अब मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में केंद्र सरकार पर कब्ज़ा करने और बचे-खुचे पूंजीवादी जनतंत्र के ढांचे को भी नष्ट करके पूंजी की नंगी तानाशाही स्थापित करने का मंसूबा बना रहे हैं.

पूंजीपतियों की इस फासिस्ट चुनौती से निपटने के लिए, तुरंत ही समूचे मजदूर वर्ग को और उसके नेतृत्व में तमाम मेहनतकश जनता को संगठित और प्रशिक्षित करने की जरूरत है. फासिज्म की तरफ तेज़ी से मुड़ रही पूँजी की सत्ता को उखाड़ फेंकने की जरूरत है.

सर्वहारा आन्दोलन में बिखराव के चलते, सर्वहारा की कोई भी पार्टी या संगठन फासिस्ट चुनौती से अकेले निपटने की स्थिति में नहीं है. इसलिए यह जरूरी है कि सर्वहारा की तमाम पार्टियां और संगठन, एकजुट होकर, फासिस्टों के खिलाफ तुरंत सांझा मोर्चा खोलें. सर्वहारा का यह संयुक्त मोर्चा ही, असंख्य मेहनतकश जनता और युवाओं को फासिज्म और उसकी जननी पूंजीवाद के खिलाफ निर्णायक संघर्ष के लिए संगठित और प्रशिक्षित कर सकता है.

इस सांझे मोर्चे में, पार्टियां और संगठन अपनी राजनीतिक-सांगठनिक स्वतंत्रता को कायम रखते हुए, अपने नारों-बैनरों के साथ शिरकत करें और फासीवाद पर चौतरफा आक्रमण संगठित करें. जो भी पार्टी, संगठन खुद को सर्वहारा के संगठन कहते हैं और फासीवाद से लड़ने के कार्यक्रम पर सहमत हैं, मोर्चे में शामिल हों!

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